दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया गया है। 1 जुलाई 2025 से राजधानी में तय उम्र पार कर चुके पुराने वाहनों को पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा। कमिशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने यह निर्णय 21 जून को जारी किया, जिसमें कहा गया कि एंड-ऑफ-लाइफ (EOL) वाहनों को फ्यूल स्टेशन पर पेट्रोल या डीजल नहीं दिया जाएगा, चाहे वे किसी भी राज्य में रजिस्टर्ड हों।
कौन-से वाहन होंगे प्रभावित?
CAQM के निर्देशों के अनुसार:
- 10 साल पुराने डीजल वाहन
- 15 साल पुराने पेट्रोल वाहन
इन वाहनों को अब दिल्ली के किसी भी पेट्रोल पंप से फ्यूल नहीं मिलेगा।
पेट्रोल पंप डीलर्स ने जताई आपत्ति
दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन (DPDA) ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है। उन्होंने दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग को पत्र लिखकर अपील की है कि पॉलिसी का पालन न कर पाने की स्थिति में पेट्रोल पंप डीलरों पर दंडात्मक कार्रवाई न की जाए।
डीलर्स का कहना है कि ईंधन न देने का निर्णय आवश्यक वस्तु अधिनियम (Essential Commodities Act) के तहत प्रतिबंधित है। यदि वे किसी ग्राहक को फ्यूल देने से इनकार करते हैं, तो यह कानून का उल्लंघन होगा। इससे कानूनी और व्यावसायिक दोनों स्तर पर समस्याएं खड़ी हो सकती हैं।
सुरक्षा को लेकर भी चिंता
DPDA ने सरकार को यह भी याद दिलाया कि फ्यूल अटेंडेंट किसी प्रवर्तन अधिकारी की भूमिका नहीं निभा सकता। उन्होंने हाल ही की घटना का हवाला दिया जिसमें गाजियाबाद में ‘हेलमेट नहीं तो फ्यूल नहीं’ नियम लागू करने पर एक अटेंडेंट को गोली मार दी गई थी।
एसोसिएशन का कहना है कि ऐसी परिस्थितियों में फ्यूल देने से मना करना डीलर्स और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।
SOP की मांग
एसोसिएशन ने यह भी स्पष्ट किया कि CAQM ने अभी तक कोई Standard Operating Procedure (SOP) साझा नहीं किया है, जिससे यह नीति धरातल पर ठीक से लागू नहीं हो पाएगी। उन्होंने SOP जारी करने और डीलर्स को स्पष्ट दिशा-निर्देश देने की मांग की है।
DPDA की मुख्य मांगें:
- डीलरों पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान हटाया जाए।
- पंप अटेंडेंट को प्रवर्तन की जिम्मेदारी न दी जाए।
- SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसेस) तुरंत साझा किया जाए।
- कानूनों के बीच टकराव को सुलझाया जाए।
निष्कर्ष
दिल्ली में वायु प्रदूषण रोकने के लिए सरकार का यह कदम निश्चित तौर पर सराहनीय है, लेकिन इसका सही तरीके से क्रियान्वयन करना जरूरी है। बिना उचित दिशा-निर्देश और डीलर्स की सुरक्षा सुनिश्चित किए बिना यह नीति जमीनी स्तर पर कठिनाइयां पैदा कर सकती है। अब देखना होगा कि सरकार डीलर्स की इन चिंताओं पर क्या कदम उठाती है।